पलायन से गांव में असुरक्षा का वातावरण

देहरादून: नीति आयोग ने प्रदेश के सीमांत गांवों के जनविहीन होने को खतरनाक बताया है। नीति आयोग के सदस्य रमेश चंद ने अभाव के कारण हो रहे पलायन को रोकने के लिए कारगर रणनीति बनाने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि सीमान्त क्षेत्र में जनसंख्या निर्वात नहीं होना चाहिये क्योंकि ये आबाद गांव सच्चे ''सीमा प्रहरी'' का कार्य करते हैं। राज्य में कृषि के प्रति घटते रूझान पर चिन्ता व्यक्त करते हुए उन्होंने सुझाव दिया गया कि ''लैंड लीजिंग'' कानून में परिवर्तन करके कान्ट्रेक्ट फार्मिंग को बढ़ावा दिया जाना होगा ताकि परती जमीन का उपयोग हो सके। पर्वतीय क्षेत्रों में सेटेलाइट सिटीज को विकसित करने का सुझाव भी दिया गया। उन्होंने समान परिस्थिति के पड़ोसी हिमाचल राज्य की रणनीति का भी अनुभव शामिल करने का अधिकारियों को सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड के सीमान्त क्षेत्रों से पलायन होना चिन्ता का विषय है। पलायन से गांव में रह रहे अन्य लोगों में भी असुरक्षा का वातावरण होता है जिससे गांव के अस्तित्व को भी खतरा हो जाता है।


हिमाचल के उन क्षेत्रों का अध्ययन जहां नहीं हुआ है पलायन
नीति आयोग के सदस्य रमेश चंद ने सुझाव दिया कि हिमाचल प्रदेश के जिन एकाकी क्षेत्रों से पलायन नही हुआ है इसका विस्तृत अध्ययन हो ताकि वहां के अनुभवों का समावेश उत्तराखंड में पलायन रोकने की भावी रणनीति में किया जा सके। उन्होंने ता कित राज्य के विभिन्न विभागों से सम्बन्धित महत्वपूर्ण बिन्दुओं को संकलित करके नीति आयोग को उपलब्ध कराया जाए ताकि उन पर नीति आयोग द्वारा कार्यवाही की जा सके। विभागवार व सेक्टरवार विस्तृत विचार-विमर्श के उपरान्त नीति आयोग सदस्य ने स्पष्ट किया कि जिन सेक्टरों में राज्य सरकार के पास कार्य पूर्ण करने हेतु क्षमता नही है और केन्द्र सरकार से सहयोग अपेक्षित है, वहां नॉलेज हब के तौर पर केन्द्र सरकार समुचित सहयोग उपलब्ध करा सकती है। पलायन जैसी विकट समस्या का निराकरण छुट-पुट रूप में नही अपितु एक वृहद योजना बनाकर किया जाना समीचीन होगा।